आगरा का अधिकतम पारा शुक्रवार को 46.9 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। तेज धूप और गर्म हवा से लू लगने या हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर पूर्वाह्न 11 से शाम 4 बजे तक बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है। आगरा प्रदेश में सबसे गर्म रहा।
शुक्रवार को लू शाम 5 बजे के बाद तक कहर बरपाती रही। गर्मी के चलते कूलर और एसी फेल रहे। दिन में सड़कों पर सन्नाटा सा रहा। वहीं शनिवार सुबह की शुरुआत भी भीषण गर्मी के साथ हुई। तपिश की वजह से लोग घरों में कैद दिखाई दिए। मौसम विभाग ने अगले चार दिनों तक लू का अलर्ट जारी किया है।
जरूरी काम न होने पर घर में ही रहने की सलाह दी गई है। मौसम का मिजाज सप्ताह की शुरुआत से ही बिगड़ने लगा था। 40 डिग्री सेल्सियस से सप्ताह की शुरुआत हुई और तापमान हर दिन डेढ़ से दो डिग्री बढ़ता रहा। बृहस्पतिवार को अधिकतम तापमान 44.2 डिग्री सेल्सियस रहा तो शुक्रवार को सीजन का सबसे गर्म दिन रहा।
अधिकतम तापमान 2.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ 46.9 डिग्री सेल्सियस के अधिकतम स्तर पर पहुंच गया। सुबह 10 बजे से ही लू चलना शुरू हो गई। पूर्वाह्न 11 बजे तक अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। दिन चढ़ने के साथ तापमान बढ़ता गया और अधिकतम तापमान बढ़ता गया।
अपराह्न 3 बजे के करीब तापमान 46 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया। न्यूनतम तापमान 27.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इधर सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच का अंतर बढ़ने से दिन करीब साढ़े 13 घंटे का हो गया है। बड़ा दिन होने से भी गर्मी का प्रकोप अधिक महसूस हो रहा है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान केंद्र ने 21 मई तक लू चलने का अलर्ट जारी किया है। एसएन मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में उल्टी-दस्त के मरीजों की संख्या डेढ़ गुना बढ़ गई है। हालत ये है कि इमरजेंसी और वार्ड के बेड फुल हैं। सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि सीएचसी में 5-5 बेड के कोल्ड वार्ड, जिला अस्पताल में 10 बेड के कोल्ड वार्ड बनाए जा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि ओआरएस के पैकेट और ग्लूकोज की बोतल के 1000-1000 स्टॉक किए हैं। विभाग के भंडारण गृह में अतिरिक्त स्टॉक है। रैपिड रिस्पांस टीम भी बना दी गई है। लोगों से अपील है कि बेहद जरूरी कार्य न हो तो धूप में बाहर न निकलें। एसएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि इमरजेंसी के वार्ड फुल हैं।
इसमें लू, डायरिया के मरीजों की संख्या 60 फीसदी से अधिक है। मेडिसिन और बाल रोग विभाग के वार्ड में जरूरत पर 10-10 बेड बढ़ाने की भी व्यवस्था की है।