पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के लेखाकार केशवेंद्र द्विवेदी के खिलाफ चितईपुर थाने में छह करोड़ रुपये गबन के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया। यह कार्रवाई डिस्कॉम मुख्यालय के लेखाधिकारी अजीत कुमार जायसवाल की तहरीर के आधार पर की गई। इसी मामले में निलंबित केशवेंद्र द्विवेदी रोहनिया थाना की आलोक नगर कॉलोनी, सगहट में रहता है।
वह मूल रूप से प्रयागराज के खुल्दाबाद का रहने वाला है। मुकदमा दर्ज होने के बाद केशवेंद्र द्विवेदी अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर भूमिगत हो गया है। लेखाधिकारी अजीत कुमार जायसवाल ने पुलिस को बताया कि ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए हैदराबाद की कंपनी मेसर्स एनसीसी लिमिटेड कार्यदायी संस्था है।
फर्म की ओर से निगम के निदेशक (वित्त) को बताया गया कि उनके बिल का भुगतान गत तीन अप्रैल तक उनके बैंक खाते में नहीं किया गया है। फर्म की सूचना के आधार पर पता किया गया तो सामने आया कि पैसा केनरा बैंक स्थित उनके खाते में न जमा कराकर इंडियन बैंक के अकाउंट में जमा किया गया है।
बैंक को रुपये होल्ड कराने के लिए दी गई सूचना
इस पर इंडियन बैंक को सूचना देकर निगम के बैंक खातों से ट्रांसफर किए गए रुपये को होल्ड कराने के लिए सूचना दी गई। बैंक द्वारा बताया गया कि जिस अकाउंट में पैसा आया है।
वह केशवेंद्र द्विवेदी का है। केशवेंद्र द्विवेदी से पूछताछ की गई तो पहले तो उसने टालमटोल किया। बाद में स्वीकार किया कि निगम के चार करोड़ दो लाख 40 हजार 198 रुपये उसने अपने बचत खाता में ट्रांसफर कर लिया था। केशवेंद्र के अन्य बैंक खातों के विवरण के आधार पर लगभग छह करोड़ रुपये गबन किए जाने की आशंका है।
इस संबंध में चितईपुर थानाध्यक्ष चंद्रदीप ने बताया कि तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए कागजात की जांच कर तथ्यों और साक्ष्य के आधार पर प्रभावी तरीके से कार्रवाई की जाएगी।
चार साल से कर रहा था पैसे की हेराफरी
केशवेंद्र की गड़बड़ी उजागर होने पर निगम के वरिष्ठ लेखाधिकारी दीपक कुमार भारती और उप महाप्रबंधक (लेखा) अमित रोहिला ने जांच की। निगम के दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि चार करोड़ दो लाख 40 हजार 198 रुपये के गबन का केशवेंद्र द्विवेदी प्रथम दृष्टया दोषी है।
वह निगम की ओर से रुपये निर्धारित फर्म के अकाउंट में न भेजकर गत 27 मार्च से अपने बचत खाते में ट्रांसफर कर रहा था। जांच अधिकारियों ने केशवेंद्र द्विवेदी के बचत खाते का चार वर्ष का विवरण बैंक से लिया। सामने आया कि गत चार वर्ष से केशवेंद्र निगम के अकाउंट से अपने बचत खाते में पैसे ट्रांसफर कर रहा था।