बदायूं के इस्लामनगर कस्बे में सोमवार को धमाका इतना तेज था कि आसपास के घरों और प्रतिष्ठानों में घर मौजूद लोगों की चीख निकल गई। डर के मारे वे बाहर आ गए। वहां नजारा भयावह था। पड़ोसी अख्तर का दो मंजिला मकान पूरी तरह से मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका था।
अख्तर की जरा सी लापरवाही और धन कमाने की लालसा ने पत्नी सलामत और बेटे तैमूर को छीन लिया। अख्तर के पास आतिशबाजी बनाने का कोई लाइसेंस नहीं था। लाइसेंस उसके पिता असगर के नाम पर है। वह भी पटाखा बिक्री का है। वह अपनी दुकान जूनियर हाईस्कूल रोड पर चलाते हैं। उस लाइसेंस का भी एक साल से नवीवीकरण नहीं हुआ है।
अपने पिता असगर के लाइसेंस की आड़ में अख्तर ने घर में ही दुकान खोल ली थी। वह यहां न सिर्फ पटाखे बेचता था। बल्कि बनाने के लिए भी भारी मात्रा में बारूद भी रखता था। उसकी यह लापरवाही भारी पड़ गई। बिल्सी बदायूं मुख्य मार्ग स्थित इस्लामनगर के मोहाली मोहल्ले में आतिशबाज की दुकान चलाने वाले अख्तर ने लोगों गुमराह करने के लिए जीएसटी पंजीकरण का बोर्ड भी लगा रहा था। यही कारण रहा कि अफसरों की नजर भी इस अवैध दुकान पर नहीं गई। यहां अवैध धंधा पूरे पांच साल से चल रहा था।
धमाका अफसरों की लापरवाही भी कर रहा उजागर
अग्निशमन अधिकारी यह तो मानते हैं कि एक साल से उसके पिता का लाइसेंस रिन्यू नहीं हुआ था। लेकिन अख्तर की दुकान कैसे चल रही थी। इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। धमाके के बाद कई स्तर से जांच हो रही है।
हाथा मोहल्ले वाले मकान में हुआ था विस्फोट
करीब 10 साल पहले भी अख्तर के घर में धमाका हुआ था। उससे घर में आग लग गई थी। काफी सामान जल गया था। लेकिन तब परिवार के लोग बाल-बाल बच गए थे। मकान को क्षति नहीं हुई थी। कस्बे के मुहाली मोहल्ला निवासी अख्तर अली दो भाई हैं।
उनके पिता असगर और भाई रिजवान कस्बे के दूसरे मोहल्ले हाथा में रहते हैं। करीब 10 साल पहले उनके हाथा मोहल्ला स्थित घर में धमाका हुआ था। इस हादसे के बाद अख्तर मुहाली मोहल्ले में मकान बनाकर रहने लगे थे। उन्होंने यहां आतिशबाजी की पूरी दुकान खोल ली थी। वह वैवाहिक कार्यक्रमों में आतिशबाजी का ठेका लेते हैं।
याद आया साढ़े पांच साल पहले हुआ हादसा
धमाके ने साढ़े पांच साल पहले 26 अक्तूबर 2018 को शहर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के रसूलपुर गांव के पास एक पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके की याद दिला दी। उस वक्त विस्फोट में 8 लोगों की मौत हो गई थी और इलाज के दौरान दो अन्य लोगों ने भी दम तोड़ दिया था।
धमाका आदर्श नगर मोहल्ला निवासी श्यामलाल की बदायूं-ककराला रोड पर रसूलपुर गांव के पास छह दुकानों में हुआ था। इनमें एक दुकान सिविल लाइंस इलाके के दौरी नरोत्तमपुर निवासी संजू (25) ने किराये पर ले रखी थी। संजू दुकान में पटाखे बनाने और बेचने का काम करता था। धमाके से तीन दुकानें पूरी तरह ढह गई थीं।
आतिशबाज बोला-गैस सिलेंडर फटने से हुआ हादसा
आतिशबाज अख्तर ने बारूद में विस्फोट होने को सिरे से खारिज कर दिया। कहा, घर में तीन सिलेंडर रखे थे। उनके फटने से ही हादसा हुआ। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी दुकान पर शादी-ब्याह के लिए आतिशबाजी नहीं बल्कि सजावटी फूलों के डेकोरेशन के ऑर्डर बुक किए जाते थे। आतिशबाजी का निर्माण और भंडारण नहीं होता था। जब आसपास के लोगों के आतिशबाजी बनाने की बात कहने के बारे में जानकारी दी तो बोला- जो लोग उसकी तरक्की से जलते हैं।
वो कुछ भी कह सकते हैं। इस्लामनगर के अख्तर के नाम आतिशबाजी का लाइसेंस नहीं था। उनके पिता असगर अली के नाम लाइसेंस है लेकिन एक साल से उनका नवीनीकरण नहीं हुआ है। पिछले साल दिवाली से पहले सभी पटाखा निर्माण स्थल और विक्री स्थलों को चेक किया गया था। उसी दौरान इनके लाइसेंस पर आपत्ति लगा दी गई थी। अवैध रूप से पटाखे बनाए जा रहे थे और बेचे जा रहे थे।