कानपुर की कौन से गली, मोहल्ले सबसे अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं, इनके क्या कारण है, इसका पता लगाने के लिए अब आईआईटी कानपुर की ओर से तैयार लैबोरेट्री वैन की मदद ली जाएगी।
यह वैन प्रदूषण और इसके कारकों की रिपोर्ट तैयार करेगी। शुरुआती चरण में वैन को शहर के दो स्थानों क्राइस्ट चर्च कॉलेज मॉल रोड और नारायणा कॉलेज पनकी के पास तैनात किया जाएगा।
यह वैन अभी लखनऊ में चार जगह तैनात की गई थी। इसकी रिपोर्ट प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को सौंपी गई है। लैबोरेट्री वैन को संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी ने तैयार किया है।
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि यह वैन शहर में घूम कर सिर्फ 11 दिन में इस बात का पता लगा लेगी की किस गली, किस मोहल्ले और किस औद्योगिक इकाई के क्षेत्र से सबसे ज्यादा प्रदूषण निकल रहा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस वैन को शहर के दो प्रमुख स्थानों पर तैनात किए जाने की योजना है।
यह वैन 10 स्क्वायर किलोमीटर का एरिया कवर करेंगी। वैन की मदद से प्रदूषण का मुख्य कारक भी पता चलेगा। रसोई गैस, ट्रैफिक, बायोमास-इंडस्ट्री से कितना-कितना प्रदूषण निकल रहा है, इसका समयवार ब्योरा दिया जाएगा। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि पहले प्रक्रिया काफी लंबी थी, इसमें काफी समय लगता था, अब 11वें दिन में रिपोर्ट तैयार हो सकती है।
वैन को बनाने में लगभग 20 करोड़ की लागत आई है। संस्थान के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि यह प्रयोग देश को प्रदूषण से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगा। यह नीति निर्माताओं को वायु प्रदूषण और हमारे स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों को कम करने के प्रयास में मार्गदर्शन करेगा।
दिल्ली में चूल्हे जलने से भी बढ़ रहा प्रदूषण
प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर विशेष अध्ययन किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का कारण वाहनों का धुआं या औद्योगिक इकाइयों के साथ सिंधु गंगा के मैदानी इलाकों में जलने वाले चूल्हे हैं।
बायोमास यानी लकड़ी, फसल के अवशेष, घास, भूसा आदि भी प्रदूषण के बड़े कारण हैं। यातायात, आवासीय हीटिंग व औद्योगिक गतिविधियों से अमोनियम क्लोराइड और कार्बनिक एरोसोल भी प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। इस शोध को नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है। इन प्रदूषित कारकों से कई गंभीर बीमारियां संभव हैं।